आज
अनंत चतुर्दशी पर
गणपति विसर्जन
यात्रा के दृश्य
देखते हुए
मैंने मन में
श्री गणपति
से कहा -
विसर्जन तो
स्थूल का है
सूक्ष्म
तुम रहना
बीज रूप में,
मन में,
अंकुरित होना,
सुन्दर विशाल
वृक्ष बनने
की ओर
अग्रसर रहना
गणपति ब्रह्मा
रूप में
सुन्दर संकल्प
बनना
मेरे मन में
हंस पर
आरूड़ रहना
विवेक पूर्ण
निर्णय
लेने में सक्षम
बनाना मुझे
विष्णु रूप
में पालन
करना
केवल मेरा नहीं
वरन
सम्पूर्ण सृष्टी का
निर्भय करना
मुझे
कमल की तरह
असंग रहने का
आशीष देना
मुझे
सासों की
लगातार चलती
माला में
कहते हैं
होता है एक
अनमोल पल
उस
अनमोल पल
तक ले जाना
मुझे
मेरी लेखनी
लिखे एक
ऎसा छंद
एक कविता
एक ऎसा गीत
कि फिर कुछ
लिखना ना पडे़
ना ही कुछ
कहना
और सुनना
तुम्हारे
शिव रूप में
मेरे पास
आने तक
मैं
तैयार रहूं
गणपति
अपने विसर्जन
के लिये ।
अनंत चतुर्दशी पर
गणपति विसर्जन
यात्रा के दृश्य
देखते हुए
मैंने मन में
श्री गणपति
से कहा -
विसर्जन तो
स्थूल का है
सूक्ष्म
तुम रहना
बीज रूप में,
मन में,
अंकुरित होना,
सुन्दर विशाल
वृक्ष बनने
की ओर
अग्रसर रहना
गणपति ब्रह्मा
रूप में
सुन्दर संकल्प
बनना
मेरे मन में
हंस पर
आरूड़ रहना
विवेक पूर्ण
निर्णय
लेने में सक्षम
बनाना मुझे
विष्णु रूप
में पालन
करना
केवल मेरा नहीं
वरन
सम्पूर्ण सृष्टी का
निर्भय करना
मुझे
कमल की तरह
असंग रहने का
आशीष देना
मुझे
सासों की
लगातार चलती
माला में
कहते हैं
होता है एक
अनमोल पल
उस
अनमोल पल
तक ले जाना
मुझे
मेरी लेखनी
लिखे एक
ऎसा छंद
एक कविता
एक ऎसा गीत
कि फिर कुछ
लिखना ना पडे़
ना ही कुछ
कहना
और सुनना
तुम्हारे
शिव रूप में
मेरे पास
आने तक
मैं
तैयार रहूं
गणपति
अपने विसर्जन
के लिये ।
बहुत अच्छी रचना। क्रिसमस पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।
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