बस आँखों
से बताऊंगी
होठों पर
मौन
तुम्हारी तरह
रहेंगे द्वार
बंद
नहीं भटकाऊंगी
अब और
दहन की
आग
भस्म भभूती
मस्तक पर
तेरे नहीं
लगाऊंगी
हर बार
बोल डूबे
नहीं
अतल में
तल मिला
नहीं
तू हिला
नहीं
हवाओं से
कोई
तुझे गिला
नहीं
मगर मुझे
है
तुझसे
तेरी
बेदर्दी से
हरे भरे
डालों से
झरे आँचल
में
गूंथे फूल
भरे गहरे
गजरे
किसे
पहनाऊंगी
बोल --
बोझिल दर्द
अब और
कहाँ
भटकाऊंगी ।
से बताऊंगी
होठों पर
मौन
तुम्हारी तरह
रहेंगे द्वार
बंद
नहीं भटकाऊंगी
अब और
दहन की
आग
भस्म भभूती
मस्तक पर
तेरे नहीं
लगाऊंगी
हर बार
बोल डूबे
नहीं
अतल में
तल मिला
नहीं
तू हिला
नहीं
हवाओं से
कोई
तुझे गिला
नहीं
मगर मुझे
है
तुझसे
तेरी
बेदर्दी से
हरे भरे
डालों से
झरे आँचल
में
गूंथे फूल
भरे गहरे
गजरे
किसे
पहनाऊंगी
बोल --
बोझिल दर्द
अब और
कहाँ
भटकाऊंगी ।