Sunday, January 27, 2013

पृथ्वी के बहुत करीब आया है चाँद



आज चाँद
धरती के
सबसे करीब है
समंदर
कुछ कहना
जरूर चाहेगा
चाँद के
सुंदर मुखडे़ पर
लिखेगा
वह कविता
सुनोगे क्या?
वह एक पेंटिंग 
बनाना चाहेगा
अपनी ऊँची ऊँची 
लहरों से
कूँचियाँ
रंगों से भरी
पहुँचाना चाहेगा
चाँद पर
चाँद के विशाल
कैनवास पर
होंगी रंगों की बातें
समझायेगा
कोई मुझे?
आज
चकोर चाहेगा
चाँद को
जी भर के
हटेगी नहीं
दृष्टी वह
जियेगा
चाँद के साँथ
रात भर
एक मूँक
सँवाद सुनोगे
समझोगे तो
बताओगे मुझे भी
मैं जो
सो गयी थी
एक दिन
मुझे मिला
था श्राप
पथरा गयी थी
मेरी नजर
मुझ अहिल्या को
छुऎगा कोई
श्रीराम का चरण
जागकर देखूँ
मैं भी
धरती के
सबसे करीब
एक चाँद !

2 comments:

  1. उद्वेलित करता पाठ |
    शुभकामनायें-

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 29/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

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