मेरी चाह,अजब गजब सी
पूछोगे तो तुम पाओगे
बच्चों के कौतूहल मन सी
हाँ भी है और ना भी है ।
मैने रोया मैने गाया
जी भर भर कर तुम्हें सुनाया
बदले में तुमसे सुन पाऊं
हाँ भी है और ना भी है ।
अब खुशियां हैं खिली खिली सी
बादल जैसी उडी़ उडी़ सी
कब मौसम नाराज हो गया
मन की चुगली तुम्हें दे गया
तुम पंखो मे ले कर मुझको
इन्द्र धनुष के पार हो गये
मैने तुमको कुछ पहचाना
हाँ भी है और ना भी है ।
कब मौसम नाराज हो गया
ReplyDeleteमन की चुगली तुम्हें दे गया।
बहुत अच्छे भाव, बहुत अच्छी कविता।